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भाजपा गठबंधन की असम सरकार हिंदी भाषा के संग अन्याय नही करे

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अंतर्गत अनुच्छेद 4.13 में लिखा हैं कि छात्रों को त्रिभाषा विधि के अंतर्गत   विद्यालयों में कम से कम दो भारतीय भाषाओं को पढ़ाया जाएँ। अभी असम सरकार की प्रादेशिकृत उच्च प्राथमिक विद्यालयों में यह नियम लागू है, ब्रह्मपुत्रघाटी में असमिया एवं बराकघाटी में बंग्ला के संग हिंदी पढ़ाया जा रहा है। इन विद्यालयों में कक्षा ६ से कक्षा ८ तक हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा हैं। यह सुनने में आ रहा हैं कि भाजपा गठबंधन की असम सरकार इन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अभी हिंदी भाषा को स्वैच्छिक/ऐच्छिक विषय कर देगी। भारत के समान एक बहुभाषीय राष्ट्र में जहाँ की जनसंख्या प्रायः १५० करोड़ हैं, एक राष्ट्रभाषा होना आवश्यक है या एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सभी नागरिक समझें। हिंदी भाषा इस दायित्व का पालन कर रहा है सम्पूर्ण भारत में। यदि हम चीन को देखेंगे जनसंख्या के आधार पर वह भारत के समान है या कम है तथा वहाँ भी बहुत संख्यक भाषाएँ प्रचलित हैं किंतु फिर भी सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए उन्होंने मंदारिन को प्रचलित रखा हैं। आज पृथ्वी पर चीन आर्थिक, सामरिक तथा तकनीक के क्षेत्र में एक शक्तिशाली राष्ट्र हैं। इसी प्रकार यदि हम दूसरे विकसित राष्ट्र जैसे जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, रूस को देखेंगे तो यह सभी राष्ट्र अपनी भाषाओं के द्वारा विकास किया है। दक्षिण कोरिया, स्वीडन, फिनलैंड, इजरायल (हिब्रू भाषा) आदि यह सभी राष्ट्र अपनी-अपनी भाषा को महत्व देते है। उल्लिखित सभी राष्ट्र विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आर्थिक सभी दृष्टिकोण से उन्नत हैं। अतः एक राष्ट्र को विकास के लिए अपनी एक समरूप भाषा की आवश्यकता हैं, जो भारत के पास हैं हिंदी के रूप में। हिंदी को विश्व के सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत का सरल रूप भी हम मान सकते है। पृथ्वी पर सबसे अधिक बोली जाने वाली तथा समझने वाली भाषा हैं हिन्दी। यद्यपि एक अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के अंतर्गत इस तथ्य को नही बोला जाता है, अंग्रेजी भाषा के वर्चस्व को रखने हेतु। भारत में प्रायः ५०% लोगो की मातृभाषा आधिकारिक रूप से हिंदी हैं एवं उससे अधिक संख्यक नागरिक हिंदी को समझते हैं तथा बोलते है। दक्षिण भारत से लेकर पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी प्रदेशों में हिंदी एक संपर्क भाषा हैं। असम एक बहुभाषीय राज्य हैं जहाँ के अधिकांश निवासी असमिया बोलते है। उसके पश्चात हिंदीभाषियो की संख्या हैं। असम सह सम्पूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र में भिन्न प्रकार के स्थानीय भाषाएँ भी है। उन सभी भाषिक समुदायों में हिंदी एक महत्वपूर्ण संपर्क भाषा हैं। यह हम बोल सकते हैं हिंदी के बिना असम सह सम्पूर्ण भारत के निवासी गूंगा हैं। असम सरकार सभी प्रादेशिकृत विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण की व्यवस्था करे जिसके लिए आवश्यकतानुसार अति शीघ्र हिंदी शिक्षक नियुक्त करें सभी शैक्षिक संस्थानो में। हिंदी भाषा शिक्षण से असम सह पूर्वोत्तर क्षेत्र में राष्ट्रवाद का प्रचार होगा क्योंकि इसी भाषा के द्वारा यहाँ के निवासी भारत के दूसरे भू-भाग के नागरिको से सहजता से संपर्क स्थापित कर पायेंगे, उनसे अपना भाव का आदान-प्रदान कर पायेंगे। असम की भाजपा गठबंधन की एक राष्ट्रवादी प्रदेश सरकार से हम यह निश्चित ही आशा कर सकते हैं कि इस राज्य में हिंदी भाषा शिक्षण निरंतर क्रियाशील रहेगी। जय असम जय भारत जय हिन्दी।
#राजन कुँवर, बिहारा, काछाड़ जनपद (असम)

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