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भारतीय इक्विटी और इण्डेक्स का कमाल विश्व बेहाल-(1) — आनंद शास्त्री

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सम्माननीय मित्रों ! वैश्विक अर्थव्यवस्था के सापेक्ष भारतीय अर्थव्यवस्था आज सभी चुनौतियों को बहुत पीछे छोड़कर मंथर गति से किसी एरावत हाथी की तरह वैश्विक बाजारों की अनदेखी करती हुयी चलती जा रही है ! चलती ही जा रही है ! मानवीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की आवश्यकताओं को अपनी पैनी नजर से भांपकर स्वदेशी कम्पनियों ने जिस ऊँचाई को प्राप्त कर लिया उसकी कल्पना भी पश्चिमी देशों ने कभी नहीं की होगी ! और इसके मूल में है हमारी बहुद्देशीय विदेश नीति,कोरोना काल में संचालित स्वदेशी उद्योगों की उन्नति,हमारी सरकार का अपने उद्योगपतियों एवं कुशल-अकुशल कर्मियों पर विश्वास एवं सरकारी बैंकों द्वारा भारतीय उद्योगपतियों के साथ-साथ छोटे छोटे निर्माताओं को किया गया वित्तपोषण है।
आपको ये अविश्वसनीय लग सकता है किन्तु जमीनी सच्चाई यही है कि-“जेपी माॅर्गन,माॅर्गन स्टेनली,नोमुरा जैसी सभी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों की महारथी संस्थायें लगातार यूरोप और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को डाउनग्रेड एवं भारतीय अर्थव्यवस्था पर डबल ट्रिबल बुलिश होती जा रही हैं।
मित्रों ! एक रहस्यमय सच्चाई है कि अमेरिका,यूरोप एवं रूस में पाये जाने वाले बर्फीले भालू की आज दुर्दशा भारतीय सांडों ने कर दी है(भारतीय शेयर बाजार में बुलिश का प्रतीक सांड एवं बेरिश का प्रतीक भालू है) ऐसी परिस्थितियाँ आ चुकीं कि अपने आपको भारतीय बाजार से लगभग एक वर्ष तक दूर रखकर फील्स अर्थात विदेशी संस्थागत निवेशकों ने डील्स अर्थात भारतीय संस्थागत निवेशकों की ऐसी शक्ति देखी कि नतमस्तक होकर उनको भारतीय बाजार में आने पर मजबूर होना पडा।
मैं आपको स्मरण दिलाना चाहता हूँ कि एक समय वह था जब ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भारत को क्रायोजेनिक ईंजन देने से स्पष्ट मना करते हुवे कहा था कि भारत इस ईंजन का प्रयोग पारमाणविक हथियारों के लिये करेगा और आज वही बिल्कुल ही स्वदेशी तकनीक से क्रायोजेनिक ईंजन से आठ गुणी अधिक क्षमता का ईंजन भारतीय कम्पनी-“एचएएल”कर रही है और उससे ईंजन लेने की कतार में ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देश खडे हैं।
मित्रों ! आयुध निर्माण क्षेत्र में बीइएल,भेल,एचएएल,शिपयार्ड काॅर्पोरेशन ऑफ इन्डिया,कोचीन शिपयार्ड,एनएमडीसी, मिधानी, जेन टेक्नोलॉजी,टाटा मोटर्स जैसी दर्जनों नहीं अपितु सैकडों सरकारी एवं गैर सरकारी कम्पनीयों ने भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है ! जहाँ कभी थ्रीनाॅटथ्री की भी गोली रूस से आती थी वहाँ आज क्लाश्निकोव की गोलियों को बीइएल रूस को सप्लाई करता है।औषधि निर्माण क्षेत्र में विदेशी कम्पनियों का अधिग्रहण हमारी स्वदेशी कम्पनियाँ द्रूत गति से कर रही हैं ! 95%से भी अधिक जीवन रक्षक अतिआवश्यक औषधियों का निर्माण भारत में होता है और इनके मूल्य निर्धारण तथा वितरण प्रणाली पर भारतीय जन औषधि केन्द्र के द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय से सीधा सम्बन्ध होने से इनके मूल्य में 50 से 80% तक गिरावट आ चुकी।
मित्रों ! आज सेंसेक्स 50000 , निफ्टी बाइस हजार तथा बैंक निफ्टी पचास हजार के पार नीले आकाश की ऊंचाईयों को छूने जा चुका ! कुछ वर्षों पहले तक -“नेस्डेक,डाओजोन्स,फिश,कैट, निक्केई,हांगसेंग,रसेल कैक,डेक्स और कोरियन बाजारों पर निर्भर एनएसई और बीएसई पर वैश्विक बाजार हो चुके ! चायनीज बाजारों से भरोसा खो चुकी फील्स आज भारतीय बाजार पर निर्भर हो चुकीं।”हींडनबर्ग”की अडानी समूह के प्रति आयी घृणास्पद रिपोर्ट को भारतीय सर्वोच्य न्यायालय और सेबी ही नहीं अपितु अमेरिकी सरकार ने भी सिरे से खारिज कर भारतीय सरकार एवं जनता के अडानी समूह पर रखे विश्वास को स्वीकार कर लिया है और विपक्ष अडानी समूह पर उठाए अपने आरोपों से अपनी आर्थिक नीति की विश्वसनीयता को बिलकुल ही खो चुका ! अब कोई भी उद्योग समूह विपक्ष समर्थित राज्यों में अपने उद्योग लगाने हेतु केन्द्र सरकार के समर्थन बिना कभी भी सहमत नहीं होंगे ऐसी स्थिति विपक्ष ने अपने हांथों अपनी कर ली। मित्रों ! सामान्य उर्जा,सौर उर्जा, पारमाणविक उर्जा,पेट्रोल पवनचक्की,हाइड्रोजन उत्सर्जित उर्जा, गैस,इथेनाॅल एवं पेट्रोलियम क्षेत्रों में-“भेल,रिलायंस पावर,जेपी पावर,एक्साइड, पावर ग्रिड,अडानी पावर,अडानी टोटल गैस,एनटीपीसी, इरडा, इरकान, एचपीसीएल,बीपीसीएल,इण्डियन आयल,जैसी सैकडों भारतीय कम्पनियों के कारण आज भारत ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं अपितु अपने जैसे तीन और देशों की उर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम हो चुका ! आज हमारा भारत-“बांग्ला देश,श्रीलंका,पाकिस्तान,नेपाल,सऊदी अरब,वियतनाम जैसे पचीस से अधिक देशों को कई लाख करोड़ डालर की उर्जा निर्यात करने के साथ-साथ हमारे उद्योगपति वहीं से उनका निर्माण एवं विपणन कर हमारी विदेशी मुद्रा कोष को कुबेर के खजाने की तरह भर रहे हैं।
मैं समझता हूँ कि यूक्रेन रूस युद्ध पर भारतीय विदेश नीति ने अपनी मिसाल कायम करते हुवे रूस से 30%मूल्य पर क्रूड, ब्रिलियेन्ट ऑयल,मक्का,बाजरा,अबरख,आयरन,तांबा,कपास आदि खरीद कर बदले में अपने एफएमसीजी,कपडे,बर्तन, मोबाइल, दवायें,तकनीक एवं वाहन आदि ऊंचे मूल्य पर देकर जहाँ एक तरफ मित्रता प्रगाढ़ की वहीं दूसरी ओर अपनी अर्थ व्यवस्था को भी गति दी हमारी इसी नीति की प्रशंसा आज हमारे शत्रु देश चीन और पाकिस्तान करते नहीं थकते एवं अमेरिका आदि पश्चिमी देशों ने भी इसपर टिप्पणी करनें से इन्कार कर दिया।
मित्रों ! दो हजार के दशक तक भारत फर्टिलाइजर,कैमिकल, सोडा,सीमेंट,सौन्दर्य प्रशाधन आदि अतिआवश्यक सामग्रियों हेतु विदेश का गुलाम था जबकि आज एफएसटी,गुजरात एवं चम्बल फर्टिलाइजर,डीसीडब्लू,अडानी विल्मार,अंबुजा-स्टार, मंगलम, डालमिया आदि लगभग दो सौ सीमेंट कम्पनियों के साथ अपनी घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ इन क्षेत्रों में 25%विश्व की आवश्यकता पूर्ति कर -“बुलन्द भारत की बुलंद तकदीर और तकनीक से तस्वीर बनाने में सक्षम हो चुका ! क्रमशः ..आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″

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