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माँ – एक अमृत स्रोत, एक प्रेरणास्त्रोत; उनकी यादें  राह की पथ प्रदर्शक – डॉ सुजीत तिवारी

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हमारी माँ  विद्या देवी तिवारी सं १९१५ की ६ मार्च को हैद्रावाद के एशियन इंस्टिटूट ऑफ गैस्ट्रो इंटेरोलॉजी (AIG) मे इलाज चलते हालत में ईश्वर के धाम सिधार गयीं। आज नौ वर्ष होगये,पर हर क्षण मुझे उनकी दी गई शिख ही राह दिखाति है। उनका जीवन एक दीप की तरह  स्वयं प्रभा हो सभीको आलोकित करती रहीं। वे हमें हमेशा औरों की मदद करने, लक्ष्यों पर केंद्रित रहने और सभी कठिनाइयों के खिलाफ  सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं।  एक बहुत धार्मिक हिन्दू  ब्राह्मणी महिला थीं और सभी पूजा और त्योहारों को बहुत पवित्रता से करती थीं।उनका जीवन ही सबके लिए एक अनुकरणीय  धर्म ग्रंथ था, जात पात, अगडा पिछड़ा, अमीर गरीब  कभी कोई भेद भाव का गुंजाइस ही नही थी।  चाय बागान में  बाबूजी और माताजी ने आदर्श रूप से हमारे संसार को ऐसे चलाया और हमे ऐसी परवरिश दि की सबका सोच में  दुसरो के प्रति अनुभूति और सदैव अच्छाई की भावना प्राप्त हुई।
 जीवन भर उन्होंने चाय  बागानों की महिलाओं को पूजा, त्योहार और गौ सेवा आदि धार्मिक समारोहों के माध्यम से एकजुट करने का कार्य किया। हर सोम वार  को कीर्तन, मंगल वार को हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने लोगों की कतार, उनके रहते हमारा घर सदैव एक तीर्थ स्थल रहता था। उन्होंने ‘जीवित पुत्रिका’ (ज्वितीया) और ‘छठ पूजा’ के केके पालन को चाय बागान क्षेत्र में  बढ़ावा दिया।
उनके समय में, बरथल के हनुमानजी मंदिर में पूजा बहुत भव्य तरीके से आयोजित होती थी। इन सभी कार्यों के माध्यम से उन्होंने लोगों को एकजुट करना सिखाया और मूल्यों पर चलने का पाठ् सिखाया।
वह तब अन्न जल ग्रहण नहीं करती थी जब तक पूजा के उपरांत सभीको भोजन न करवालेती। उन्होंने हमें हमेशा सिखाया कि “नर सेवा ही नारायण सेवा है”  और  आतुर और कमजोर वर्ग के मनुष्यों की सेवा के माध्यम से ही हम ईश्वर की सेवा कर सकते हैं।
उन्होंने  स्वर्गलोक के लिए यात्रा करने से पहले मुझे कुछ जीवन के कुछ अनमोल सिख दिए, जिसने मुझे उनकी कमी को सहने में सहयाता की, और उनकी दी गई सभी शिक्षा अभी भी मेरे जीवन को अज्ञात पथों पर चलने में अंधेरी राहों को प्रकाशित कर रही हैं। गलतियाँ करनेपर असीम धीरज से समझानेवाली और प्रेरित कर दुर्गम कार्यो को सहज करनेवाली जननी के दिखाये राहों पर चलने को प्रतिबद्ध होकर उनके लिए  परमेश्वर से वैकुंठ धाम मे उनकी चिर शांति के लिए सदैव प्रार्थनारत रहेंगे ।

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