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आज पार्क रोड स्थित मध्यशहर सांस्कृतिक संस्था के भवन मे आयोजित एक पत्रकार वार्ता में बीडीएफ सदस्यों ने मिजोरम की मौजूदा स्थिति पर जानकारी दी।इस संबंध में मुख्य संयोजक प्रदीप दत्तराय ने कहा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री पड़ोसी देश म्यांमार और चीन के साथ संपर्क हैं। जिसके चलते चीन के मदद से म्यान्मार के नागरिको से मिजोरम में अस्थिरता फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन इसी तरह परोक्ष रूप से अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में आतंकवाद फैला रहा है और अपना विस्तार कर रहा है। चीन का मूल लक्ष्य है पूर्वोत्तर को अपने कब्जे में लेना।
यही कारण है कि मिजोरम में, “चीन आपका स्वागत है, भारत को अलविदा” या “संप्रभु मिजो राज्य में आपका स्वागत है” जैसे नारे कभी-कभी मिजोरम में सुने जाते हैं, एमएनएफ के पूर्व अध्यक्ष तथा चीन के वर्तमान मुख्यमंत्री जोरामथांगा एमएनएफ के उग्रवादियों को सीमा पर गोली चलाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है और इनलोगो को चीन अस्त्र-शस्त्र आपूर्ति कर रहा है।बीडीएफ के प्रमुख संयोजक ने यह भी कहा कि बराक के विधायक और सांसद पूरी तरह इस घटना पर चुप हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है । लेकिन बृहस्पतिवार को विधायक कौशिक राय और दीपायन चक्रवर्ती ने मिजोरम के विरुद्ध आर्थिक अवरोध करने की बात कर लोगो को उस्काया गया है। प्रदीप बाबू ने कहा कि मैं इन दोनों विधायकों को चूनौती दे रहा हूं कि ये दोनो लोग अपने समर्थकों के साथ ऐसी नाकाबंदी दिखाये। बीडीएफ उनका पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि जहां मुख्यमंत्री आर्थिक अवरोध के खिलाफ हैं, उनकी पार्टी के दो विधायकों द्वारा इस तरह की भड़काऊ टिप्पणी पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना और दोहरे मापदंड के अलावा क्या कहा जा सकता है? प्रदीप बाबू ने कहा कि इंदिरा गांधी ने मिजोरम में विद्रोह के दौरान कहा था, “हमें मिजोरम चाहिए, मिजो नहीं।” हालांकि, हमारे ‘छप्पन इंच के सीने’ पर डींग मारने वाले प्रधानमंत्री और गृह मंत्री इस संबंध में कोई सक्रिय कदम उठाने में विफल रहे हैं। इसका क्या कारण है? प्रदीप बाबू ने कहा कि अगर इसे केवल असम और मिजोरम की समस्या के रूप में देखा जाए तो इसे चीन में एक बड़ी साजिश के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने इस सन्दर्भ में केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।