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रंगाली बिहू के रंग में रंगा पूरा असम

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गुवाहाटी (असम), इन दिनों पूरा असम रंगाली बिहू के रंग में सराबोर हो चुका है। चाहे वह राजधानी गुवाहाटी हो या गांव का दूर-दराज का ईलाका- हर तरफ ढोल, पेपा, गगना, मुरली आदि बजाने के साथ-साथ गाने की ध्वनि गूंज रही है। पूरा वैशाख महीने भर असम इसी प्रकार रंगारंग कार्यक्रमों के रंग से सराबोर रहेगा।

ज्ञात हो कि बिहू असम का सबसे बड़ी और प्रसिद्ध त्योहार है, जो असम में खुशियों का महोत्सव है। यह त्योहार वर्ष में तीन बार मनाया जाता है। लेकिन, इस महीने में मनाया जाने वाला बहाग या रंगाली बिहू अप्रैल में मनाया जाता है, जब प्रकृति नई ऊर्जा और उत्साह से भर जाती है। रंगाली बिहू का मतलब होता है ‘रंगीन बिहू’, और इसे आनंद, खुशी, और बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

इस उत्सव के दौरान लोग नए कपड़े पहनकर अपने मित्रों, रिश्तेदारों के यहां आशिर्वाद लेने पहुंचते हैं। लोग घरों को सजाते हैं। महिलाएं पीठा आदि बनाती हैं। लोग गीतों के साथ नृत्य करते हैं। प्राचीन काल में खेतों में काम करने वाले लोगों के लिए रंगाली बिहू एक महत्वपूर्ण था, जब वे अपने मेहनत के फल का आनंद लेते थे। लेकिन आज बिहू असम की संस्कृति में इस प्रकार रच बस गया है कि हर मौके पर इसकी झलक दिखती है।

हालांकि, अभी भी इस त्योहार का संबंध कृषि और प्राकृति के साथ अन्योन्याश्रय है, जिसमें असम की विविधता और सामाजिक समरसता की झलक मिलती है।

रंगाली बिहू के सात दिनों के नाम कथित रूप से इस प्रकार हैं-

गोरू बिहू, मानुह बिहू, गोसाई बिहू, तातर बिहू, नांगलर बिहू, जियरी बिहू और सेरा बिहू।

इस प्रकार सात दिनों तक सात बिहू मनाया जाता है। जहां शनिवार को गोरू बिहू मनाया गया, वहीं रविवार को मानुह बिहू और सोमवार को गोसाई बिहू मनाया जा रहा है।

वैसे इस पूरे वैशाख महीने में लोग जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दौरान बिहू नृत्य के साथ-साथ असम के विभिन्न परंपरागत नृत्य, गीत आदि की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और मंच पर विभिन्न शैलियों में गीत, नृत्य एवं पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति की जाती है।

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