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राष्ट्रीय बिरहा अकादमी में विलुप्त हो रहे लोक धुनों के निःशुल्क प्रशिक्षण का साप्ताहिक कार्यक्रम का शुभारंभ

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वाराणसी संवाददाता: इंडियन सोशल एंड कल्चरल डेवलपमेंट संस्थान द्वारा संचालित राष्ट्रीय बिरहा अकादमी में विलुप्त हो रहे लोक धुनों के निःशुल्क प्रशिक्षण का साप्ताहिक कार्यक्रम का शुभारंभ आज दिनांक 25 मार्च 2021 को हुआ । प्रशिक्षण में गुरु और प्रशिक्षक के रूप में राष्ट्रीय बिरहा अकादमी के संस्थापक निदेशक डॉ मन्नू यादव की देखरेख में छपरा सह-प्रशिक्षक अशोक कुमार बबलू बावरा सप्ताह भर अपनी भूमिका का निर्वाहन करेंगे ।

भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है, छोटी-छोटी लोक संस्कृतियों से एक विशाल देश की संस्कृति मजबूत होती है, लोक संस्कृतियाँ आए दिन सांस्कृतिक प्रदूषण व पाश्चात्य संस्कृति के धुआंधार प्राहारों से लुप्त हो रही हैं,इनका संरक्षण व संवर्धन आज जरुरी है । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिरहा को स्थापितकरने वाले इकलौते कलाकार और उत्तर भारतीय लोक धुनों को स्थापित करने वाले डॉ यादव अपने राष्ट्रीय बिरहा एकेडमी के पूर्वी परिसर में जहां कँहरवा लोकगीत नृत्य का प्रशिक्षण चल रहा है गुरु शिष्य परंपरा के तहत उन बच्चों के साथ अन्य जिज्ञासु सीखने वाले लोगों के लिए बिरहा, कजरी, चैता, कहरवा, पूर्वी, छपरहिया, आल्हा, सोहर, कजरी, लचारी, चंदैनी, पिड़िया, छठ, झूमर,लोरकी,रागिनी,बाउल,बिहू एवं संस्कार गीत तथा उत्तर भारतीय लोक गीतों के लिए समर्पित संस्थान के रूप मेंअकादमी कार्य कर रही है।लोक धुनों की बारीकीयों को आमजन मानस से जोडने के लिए अभियान चलाया है जिसमें आने वाली पीढ़ी को समुचित ज्ञान मिल सके और लोक संस्कृतियाँ बची रहें। कहा जाता है कि भारत गांवों का देश है और गांव के लोग अपने मनोरंजन के लिए लोक संस्कृति पर ही आश्रित हैं, बहर हाल इस समय मोबाइल, फेसबुक, व्हाट्सएप, का जमाना है फिर भी इन लोक संकृतियों के लिए समर्पित डॉ मन्नू यादव नित नये आयाम गढ रहें हैं।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँन राष्ट्रीय पुरस्कार 2007 तथा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार उ0प्र0 2013 से सम्मानित ,भारत सरकार ,उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित, कलाकार आकाशवाणी वाराणसी से बी-हाईग्रेड का दर्जा प्राप्त हैं। मारीशस भूटान तथा अन्य देशों की यात्रा करने वाले डॉ यादव बताते हैं कि हमारे शरीर में जिस तरह छोटी-छोटी नसों से रक्त संचार सर से पैर तक होता है उसी तरह भारत जैसे विशाल सांस्कृतिक देश में छोटी-छोटी लोक संस्कृतियों से ही भारत मां की आत्मा में रक्त का संचार होता है अतः इन संस्कृतियों को बचाना और आने वाली पीढ़ी को सौंपना एक बड़ा काम है।

कहा जाता है कि वह देश उतना ही खुशहाल माना जाता है जिस देश में वहाँ की लोक संस्कृति और परंपरा कायम रहती है, और संस्कृति का प्रचलन लोगों के मन मस्तिष्क को आनंदित करती है ।इस शुभारंभ कार्यक्रम में प्रशिक्षु अरविंद कुमार अकेला, किशन लाल,गोपी निषाद, विजेंद्र कुमार, लाल बहादुर,चंचल,छागुर,बुधयी,मोलू, आदि उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन डॉ मन्नू यादव ने किया।मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय स्तर के बिरहा गायक छोटे लाल यादव को इंडियन सोशल एंड कल्चरल डेवलपमेंट संस्थान के तेजस कृष्ण ने पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया।

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