शिलचर 6 मार्च: हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं के खिलाफ अगर अत्याचार होता है तो कोई भी सरकार हो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह कहना है विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष शांतनु नायक का। विश्व हिंदू परिषद ने आज पत्रकार वार्ता में घोषणा किया कि 23 फरवरी को घटित एक सामान्य घटना में बजरंग दल के 5 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके उनके ऊपर जो अमानवीय अत्याचार शिलचर पुलिस ने किया है, उसके खिलाफ 7 मार्च को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। ज्ञापन भेजने के एक सप्ताह के भीतर यदि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो विश्व हिंदू परिषद आंदोलनात्मक कार्रवाई के लिए बाध्य होगा।
विश्व हिंदू परिषद दक्षिण पूर्व प्रांत के प्रांतीय कार्यालय गोविंद बाड़ी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष शांतनु नायक, प्रांत संगठन मंत्री पूर्ण चंद्र मंडल, प्रांत सचिव सपन शुक्लवैद तथा प्रचार मंत्री समिंद्र पाल ने कहा कि 20 फरवरी को शिमोगा कर्नाटक में बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की हत्या के प्रतिवाद में 23 फरवरी को शिलचर में अपराह्न 3:00 से 5:00 बजे तक धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। धरना समाप्ति के पश्चात ट्रंक रोड में तीव्र गति से आ रही एक कार, जिससे दुर्घटना की संभावना थी, के साथ रास्ता चलने वालों का कुछ संघर्ष हुआ। जिसके बाद कार वालों ने सदर थाने में एक सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। जो एफ आई आर दर्ज हुआ है और पुलिस ने जो धाराएं लगाई हैं, उनका आपस में कोई मेल नहीं है। 10-10 धाराएं लगाई गई हैं, जिसमें तीन गैर जमानती धाराएं है। इससे साफ प्रमाणित होता है कि पुलिस एक साजिश के तहत बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के ऊपर सामान्य घटना के बावजूद गंभीर धाराएं लगाकर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। ऐसे में विश्व हिंदू परिषद चुप बैठा नहीं रह सकता है।
कितने गंभीर अपराध होते हैं और पुलिस को सक्रिय होने में समय लगता है हत्या तक के आरोप में पुलिस टालमटोल करती रहती है और इस मामले में रातो रात पुलिस ने तेजी दिखाते हुए बजरंग दल के 5 कार्यकर्ताओं को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। केवल गिरफ्तार ही नहीं किया तो कार्यकर्ताओं के मुंह में पिस्तौल लगाकर गोली मारने की धमकी दी एक कार्यकर्ता की कनपटी पर लोडेड पिस्तौल लगाकर जान से मारने की धमकी दी और उन्हें मारते पीटते थाने में लाया गया तथा पूरी रात उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया। क्या वे उग्रवादी है, अपराधी है, देशद्रोही है, किस संगीन अपराध में उनके ऊपर इस तरह का अमानवीय उत्पीड़न शिलचर पुलिस ने किया।
पुलिस को अधिकार है, गिरफ्तार कर सकती है, जेल भेज सकती है। इस तरह के शारीरिक उत्पीड़न का अधिकार पुलिस को किसने दिया। 25 फरवरी को कई वकीलों ने मिलकर मुख्य दंडाधिकारी को आवेदन किया था कि इन कार्यकर्ताओं का मेडिकल जांच कराया जाए। माननीय मुख्य दंडाधिकारी के आदेश से गठित स्पेशल मेडिकल बोर्ड ने 26 फरवरी को पांचो कार्यकर्ताओं का शारीरिक परीक्षण किया। मेडिकल बोर्ड को जांच के तत्काल बाद अदालत ने अर्जेंट रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया था किंतु उसे भी रुकवाने का कोशिश किया गया। मेडिकल रिपोर्ट 1 सप्ताह बाद 5 मार्च को अदालत में सबमिट हुई है।
शिलचर पुलिस ने एक साधारण मामले में इतनी धाराएं क्यों लगाई? इतनी तत्परता से गिरफ्तारी के पीछे कारण क्या है? गिरफ्तार किया तो किया टॉर्चर क्यों किया? मेडिकल रिपोर्ट अदालत में जमा देने में विलंब क्यों? क्या शिलचर पुलिस को मानवाधिकार का ज्ञान नहीं है? क्या यह सब मुस्लिम नेताओं द्वारा पुलिस प्रशासन पर दबाव डालकर करवाया गया? इन सब परिस्थितियों को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद ने निर्णय लिया है की अगले 7 मार्च को मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा जाएगा जिसमें दोषी पुलिसकर्मियों को 7 दिन के भीतर दंडित करने और पूरे मामले की जांच करने की मांग की जाएगी। साथ ही मानवाधिकार आयोग में भी पूरे मामले की शिकायत की जाएगी। माननीय न्यायालय से भी इस मामले में कार्रवाई करने के लिए आवेदन किया जाएगा। इस विषय में विश्व हिंदू परिषद ने पूरे संघ विचार परिवार तथा भारतीय जनता पार्टी के मंत्री, सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष के साथ विचार विमर्श किया है और उन्होंने भी जल्द से जल्द कार्रवाई करवाने के लिए पूर्ण आश्वासन दिया है।