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शिलचर में शहीद मंगल पांडेय का बलिदान दिवस मनाया गया

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शिलचर, 8 अप्रैल: अमर शहीद मंगल पांडेय ने देश और धर्म के लिए अपने आपको न्यौछावर कर दिया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जो बगावत का बिगुल फुंका, वह आगे चलकर स्वाधीनता संग्राम बन गया। 26 साल की उम्र में उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया और फांसी के फंदे पर झूल गए। घुंघुर, शिलचर में उनकी मूर्ति की स्थापित होने जा रही है, यह बराक वासियों के लिए गर्व का विषय है। शहीद मंगल पांडेय के बलिदान दिवस पर घुंघुर, शिलचर में आयोजित एक कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं ने उनके जीवन पर चर्चा करते हुए उपरोक्त बातें कहीं। सभी वक्ताओं ने क्रांतिकारी मंगल पांडेय की शहादत को नमन किया।


वरिष्ठ समाजसेवी और शिक्षाविद जवाहरलाल राय की अध्यक्षता में आयोजित बलिदान दिवस समारोह के प्रारंभ में मंचासीन अतिथियों ने शहीद मंगल पांडेय के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तत्पश्चात समारोह में उपस्थित सभी ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया और उन्हें नमन किया। सभा अध्यक्ष जवाहरलाल राय ने यथाशीघ्र मूर्ति स्थापना के संबंध में निर्णय लिए जाने पर जोर दिया। बड़ी समाजसेवी और उद्योगपति महावीर जैन ने सुझाव दिया कि एक हस्ताक्षर अभियान चलाकर मुख्यमंत्री को जन भावनाओं से अवगत कराया जाए। समिति के उपाध्यक्ष डॉक्टर वैकुंठ ग्वाला ने कहा कि मंगल पांडेय ने देश के लिए कुर्बानी दी और उनकी मूर्ति स्थापना में कोई बाधा उत्पन्न करता है तो वह संकुचित मानसिकता का व्यक्ति होगा।


जिला परिषद सदस्य और समिति के उपाध्यक्ष मानव सिंह ने कहा कि मंगल पांडे संग्रामी व्यक्तित्व थे और उनकी मूर्ति भी संग्राम करके स्थापित हो यह और अच्छी बात होगी। बराक हिंदी साहित्य समिति के महासचिव दुर्गेश कुर्मी ने कहां कि मंगल पांडेय 1857 के स्वाधीनता संग्राम के नायक थे, उनकी मूर्ति लगाने के लिए पूरा बराक बैली का समर्थन है। वरिष्ठ समाजसेवी प्रदीप कुर्मी ने अपने वक्तव्य में मंगल पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए कहां की हर हाल में घुंघुर चौक पर मंगल पांडे की मूर्ति स्थापित होकर रहेगी।


समिति के उपाध्यक्ष भोला नाथ यादव ने कहा कि मंगल पांडेय की मूर्ति स्थापना का विरोध करने वाला देशद्रोही है। मंगल पांडेय ने बलिदान दिया था, जरूरत पड़ने पर हम लोग भी बलिदान करने के लिए तैयार है। हिंदी दैनिक प्रेरणा भारती की संपादक श्रीमती सीमा कुमार ने दुष्यंत की ग़ज़ल से अपनी बात कही और कहा “मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं पर आग लेकिन आग जलनी चाहिए।”


शिवकुमार जी ने सरफरोशी की तमन्ना गीत गाकर लोगों के दिल में बलिदान की भावना जगा दी। कार्यक्रम का संचालन समिति के महासचिव दिलीप कुमार ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य प्रमुख व्यक्तियों में रामनारायण नुनिया, सुभाष चौहान, गणेश लाल छत्री, प्रदीप गोस्वामी, अजय नुनिया, सूरज नुनिया, रितेश नुनिया, श्रीमती जनक नंदिनी नुनिया तथा सीमा पासी आदि शामिल थे।

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