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“सिंहासन खाली करो कि जनता आती है !”– आनंद शास्त्री

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सम्माननीय मित्रों ! महाभारत युद्ध के निहितार्थ अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं ! जन्मान्ध अंधे धृतराष्ट्र के उन वचनों को आप स्मरण करें –
” धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमऽकुर्वन्तु सञ्जयः॥”
अर्थात धृतराष्ट्र की बुद्धि आप देखिये-“मेरे और पाण्डु के पुत्र” ?
अर्थात भाई भाई के पुत्र अलग हैं ? अर्थात हमारी मातृसंस्था और बीजेपी-“बांग्ला भाषी,असमिया भाषी,हिन्दी भाषी” लोगों को अलग-अलग मानदण्डों से देखती है ? क्या हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी,शिक्षा मंत्री जी एवं परमादरणीय प्रधानमंत्री जी की दृष्टि में हम-“हिन्दी भाषी,हिन्दी भाषा और हिन्दूस्थान” केवल वोट-बैंक है ?
मित्रों ! धृतराष्ट्र ने कहा था कि-“युयुत्सवः” अर्थात युद्धोत्सव अर्थात कौरव और पाण्डवों के मध्य होने वाले सम्भावित युद्ध को उत्सव की संज्ञा देने वाले धृतराष्ट्र को आप क्या कहेंगे ?
अत्यंत ही खेद का विषय है कि-“राजभाषा हिन्दी संयुक्त सुरक्षा समीति” के शिष्ट मण्डल से शिक्षा मंत्री जी ने प्रथम तो यह बेगार मजदूरी करायी कि आपलोग विद्यालयों का सर्वे करिये ! कहाँ कहाँ हिन्दी शिक्षकों के पद रिक्त हैं ! किन हिन्दी विद्यालयों का -“भाषान्तरण” किया गया ! कितने हिन्दी शिक्षकों की आवश्यकता है ! इसका सर्वे करिये ! गांव-गांव,सुदूर चाय बागानों में जाइये निरिक्षण करिये ! अपने पैसों से करिये ! हम आपको इसके लिये ! इस समीति को इस कार्य के लिये- “अधिकृत” करते हैं। अर्थात-“केहुनी” पर गुड लगा दिया गया !
अत्यंत ही खेद का विषय है कि हमारे लोगों ने अत्यंत ही विषम परिस्थितियों में ऐसा किया ! सैकडों विद्यालयों की सूची बनाने हेतु धूल फांकी ! बिचारे लोग महिनों तक सुबह घर से निकल कर ठंड में ठिठुरते हुवे इस कार्य को करने के उपरान्त ! आदरणीय शिक्षामंत्री से आमन्त्रण मिलने के बाद जब दिसपुर जाते हैं तो उन्होने मिलने से ही मना कर दिया ? कहा कि अब कुछ नहीं हो सकता आचार संहिता लगने –“वाली” है ? आपको सपने में चुनाव आयोग ने सूचित किया ?
आदरणीय शिक्षा मंत्री जी ! आप मंत्री हैं ! राजकीय सम्पत्ति एवं सुविधाओं के स्वामी हैं ! आपके लिये-“उडनखटोला” है ! हमलोग धनाढ्य नहीं हैं ! हम भलीभांति जानते हैं कि हमें बुलाया गया था तब हमारे बच्चे आये थे ! अपनी रोजी-रोटी छोड़ कर आये थे ! किन्तु-“बडे बेआबरू होकर तुम्हारे दर से हम निकले” वापस लौटते समय हमारे बच्चों को जो मर्मान्तक कष्ट था इसके पीछे कौन है-
“भेदे गणाः विनश्येयुः भिन्नास्तु सुजयाः परैः”
मैं समझता हूँ कि धृतराष्ट्र के सौ पुत्र थे एवं ग्यारह अक्षौहिणी सेना थी किन्तु उसका गर्व उसके सर्वनाश का कारण हुवा ! ये- “घमण्डिया गठबंधन” कौन है ! यह पाठक गण स्वयं ही निश्चित कर लें ! मित्रों ! हम हिन्दी भाषी समुदाय के लोगों में एकता का अभाव ही हमारे अपमान का कारण है ! किन्तु ये निश्चित है कि घुंघुर में हुवे रूद्र महायज्ञ एवं शिव महापुराण के सफल आयोजन ने ये सिद्ध कर दिया है कि-“हिन्दी भाषी समुदाय” अब जागृत हो चुका है ! चुनाव को उत्सव मानने वाले हमारे राजनैतिक चाणक्यों को ये समझने की आवश्यकता है कि हिन्दी भाषी समुदाय यदि आपको रथारूढ करा सकता है ! तो उनके मतों का विभाजन आपके लिये खतरनाक होगा ! और अवस्य होगा ! सज्जनों के धैर्य का अर्थ उनमें कायरता है ऐसा समझना सत्तारूढ़ दल के लिये सदैव ही पराजय का कारण रहा है ! ये निश्चित है कि यदि हमारी संसदीय सीटों से हिन्दी भाषी समुदाय के लोगों ने किसी अन्य का समर्थन कर दिया ! यदि त्रिमुखी-चतुर्मुखी चुनाव हुवे तो वो विजयी हों न हों किन्तु इतना निश्चित है कि सत्तारूढ़ दल की पराजय निश्चित हो जायेगी ! बीजेपी और संघ इस सत्य से भलीभांति परिचित है कि बराक उपत्यका में बीजेपी की क्या स्थिति थी ! चाय बागानों में क्या स्थिति थी ! आज जिस दिलीप के कारण बीजेपी यहाँ तक पहुँची वो आज दिलीप जी और प्रेरणा भारती को उपेक्षित कर ! अर्थात समूचे हिन्दी भाषी समुदाय को उपेक्षित और अपमानित कर हमारे अस्तित्व एवं अस्मिता का अपमान कर रही है ! मैं मानता हूँ कि-“तस्मात् संघातयोगेन प्रयत्नेन् गणाः सदा” गणराज्य अर्थात हमारा गणवेश एक होना चाहिए ! बराक उपत्यका में जितनी सुविधा,सुरक्षा और आर्थिक सामाजिक उन्नयन अन्यान्य भाषायी समुदाय का हुवा ! उसके दसवें भाग पर भी हमारा अधिकार नहीं हो सकता ? क्या उपेक्षित रहकर जीना ही हमारी विडम्बना है ? मैं आश्चर्यचकित हूँ कि आज हमरी मातृसंस्था से लेकर बीजेपी तक हमें अर्थात अपने ही लोगों को निःस्वार्थ भाव से-“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” का पाठ पढाकर अभी तक तो अंधेरे में रखी ही अब क्या हमारी आगामी पीढियों को भी अंधकार के गड्ढे में ढकेल देना चाहती है ?
मित्रों ! जिस प्रकार ममता बनर्जी की सरकार पश्चिम बंगाल में बंगलादेश की राजनीति कर रही हैं ! अर्थात वे पश्चिम बंगाल को बंगलादेश के रजाकारों से मिलकर अखण्ड बंगाल की राष्ट्रमाता बनना चाहती हैं ! आप सभी जानते हैं कि अब बराक उपत्यका में भी -“पृधक बराक राज्य” की मांग उठने के पीछे भी उसी तृणमूल कांग्रेस का हांथ है ! इसे हमारे बीजेपी के चाणक्य कब जानेंगे ? हमारी मातृसंस्था कब जानेगी ? आज समूची बराक उपत्यका में हिन्दी भाषी एवं बांग्ला भाषी लोगों के मध्य एक अभेद्य दीवार जो बनती जा रही है ! चाय बागानों की जो दुर्दशा हो रही है ! चाय बागानों को नष्ट एवं उनकी भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है ! आज जो हिन्दी भाषी लोगों को बराक उपत्यका में उपेक्षित कर बंगाली मुस्लिमों को बसाने की योजना चल रही है ! इसे बीजेपी नहीं जानती ? इसे बीजेपी के राजनैतिक प्रतिनिधि नहीं जानते ? इसे हमारी मातृसंस्था नहीं जानती ? और यदि नहीं जानती तो उसे हमपर शाषन करने का भला क्या अधिकार है ? मैं उद्घोष करता हूँ कि-“सिंहासन खाली करो कि जनता आती है !”क्रमशः ..आनंद शास्त्री सिलचर, सचल दूरभाष यंत्र सम्पर्कांक 6901375971″

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