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Atiq-Mukhtar: अदावत होने के बावजूद अतीक अहमद ने अरबों के इस धंधे में मुख्तार को करने दी थी एंट्री, क्या थी वजह

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 गौरव दीक्षित, कानपुर। Atiq Ahmed – Mukhtar Ansari : माफिया सरगना अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी दोनों के काले धंधे जरूर अलग-अलग थे लेकिन हाल के वर्षों में मजबूरियां उन्हें न केवल करीब ले आईं, बल्कि दोनों ने मिल बांटकर काम शुरू कर दिया था। रेलवे में कोयले के साथ विशेष रूप से स्क्रैप की ठेकेदारी में मुख्तार ने अतीक को इंट्री दे दी थी। इसके बदले में पूर्वांचल में मुख्तार को जमीन के कारोबार में पैर पसारने की छूट मिल गई थी।इसके पीछे मकसद केवल था कि दोनों की फूट का लाभ कोई बाहर वाला न उठा ले जाए। पुलिस विभाग में एडीजी स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मुख्तार अंसारी मुख्य रूप से रेलवे का स्क्रैप और कोयले की ठेकेदारी का काम करता था। मुख्तार का काला कारोबार पूर्वांचल से लेकर पश्चिम यूपी तक फैला हुआ था। रेलवे के स्क्रैप और कोयले का कोई ठेका बिना मुख्तार की सहमति के नहीं उठता था।हालांकि वर्ष 1995 के बाद उन्नाव के एमएलसी अजीत सिंह ने इस धंधे में अपना दखल दिया। ऐसे में मुख्तार ने अपने साथियों के साथ अजीत सिंह पर हमला करवाया। अजीत सिंह इस हमले में बाल-बाल बच गए, लेकिन बाद में चार सितंबर 2004 को जन्मदिन की पार्टी में ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।वहीं अतीक अहमद मुख्य रूप से विवादित संपत्तियों की खरीदारी का काम करता था। विशेषकर पूर्वांचल में उसने अरबों रुपये की संपत्तियां खरीदीं और बेची। पुलिस अधिकारी के अनुसार, अजीत सिंह से मिली चुनौती के बाद कमजोर हुई साख और बदली राजनीतिक परिस्थितियों के बीच दोनों माफिया ने हाथ मिला लिया।

लंगड़ा के पास थी कानपुर की कमान

कानपुर में रहने वाले रेलवे के एक बड़े ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि करीब आठ साल पहले उन्होंने रेलवे का स्क्रैप नीलामी में खरीद था। इसके बाद अतीक अहमद का फोन उनके पास आया। उसने बिना उसकी मर्जी के स्क्रैप खरीदने पर धमकाया।नीलामी में लगा पैसा उसे वापस कर दिया गया और 100 टन से ज्यादा स्क्रैप अतीक के लोग उठाकर ले गए। ठेकेदार के मुताबिक मुख्तार अंसारी ने इस धंधे में मिल रही चुनौतियों के मद्देनजर बिंदकी रोड स्टेशन से मीरजापुर के बीच स्क्रैप के ठेके की जिम्मेदारी अतीक को दे दी थी।हरबंशमोहाल स्थित अप्सरा टाकीज के पास रहने वाले लंगड़ा उपनाम से कुख्यात एक अपराधी को अतीक ने कानपुर में काम की जिम्मेदारी दी थी। सूत्र बताते हैं एनसीआर के इलाहाबाद मंडल में रेलवे स्क्रैप का कोई भी ठेका बिना अतीक की मर्जी से नहीं उठता था। अंदरखाने दोनों में क्या हिसाब किताब था, कोई नहीं जानता, लेकिन बताते हैं कि इसके बदले अतीक ने पूर्वांचल में विवादित संपत्तियों की खरीदारी के धंधे में मुख्तार को इंट्री दी थी।

राजू गर्ग था दोनों माफिया के बीच की कड़ी

कानपुर का माफिया सरगना राजू गर्ग भी इन दोनों माफिया के बीच की कड़ी था। हाल ही में राजू गर्ग को सचेंडी में हुए प्लंबर हत्याकांड में जेल भेजा गया है। राजू को वैसे तो मुन्ना बजरंगी गैंग का सदस्य बताया जाता है, लेकिन वह भी रेलवे में स्क्रैप और लोहे के कारोबार की ठेकेदारी करता था।

ऐसे में उसने मुख्तार अंसारी से आशीर्वाद ले रखा था। कुछ समय से उसने अतीक अहमद के लिए भी काम करना शुरू कर दिया था। अतीक के लिए उसने अरबों की कीमत वाली जमीनों का सौदा कराया

मुख्तार ने कराई थी अबू सलेम और अतीक की दोस्ती

पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने से पूर्व अतीक अहमद के बेटे असद को पुणे में छिपाए जाने की योजना थी। यह प्लान किसी और ने नहीं बल्कि दाऊद इब्राहीम गैंग के अबू सलेम ने तैयार किया था। अतीक को डी कंपनी के करीब लाने में मुख्तार अंसारी ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

65 करोड़ रुपये सालाना है स्क्रैप का ठेका उत्तर मध्य रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक प्रयागराज मंडल में हर साल करोड़ों का स्क्रैप का ठेका उठता है। पिछले वित्तीय वर्ष में 65 करोड़ रुपये का ठेका उठा था। सूत्रों के मुताबिक इसमें से करीब 55 करोड़ का ठेका सीधे अतीक अहमद के नाम से दूसरे ठेकेदारों ने लिए।

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