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असम में परिवर्तन की सरकार में शिलचर – जयंतिया सड़कमार्ग की भयावह स्थिति

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प्रे. सं – स्वतंत्र भारत में प्रथम बार असम प्रदेश में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी २०१६ ई. में सर्वानंद सोनोवाल जी के नेतृत्व में। उस समय दक्षिण असम के निवासियों ने सोचा कुछ परिवर्तन होगा यहाँ आधारभूत आवश्यकता जैसे सड़क, चिकित्सा, शिक्षा आदि क्षेत्रों में किंतु वास्तव में कुछ विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। फिर २०२१ ई. की विधानसभा चुनाव में पुनः भाजपा गठबंधन की सरकार असम के सत्ता में आयी हिमंत विश्वशर्मा जी के नेतृत्व में जिन्होंने असम सरकार की शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग में मंत्री रहते हुए कुछ सकारात्मक परिवर्तन किए थे उन विभागों के कार्यों में। बराक घाटी के दो विधानसभा काठीगोरा एवं बरखोला क्षेत्र के लाखों लोगों को जिला मुख्यालय शिलचर तथा शेष भारत से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क मार्ग है शिलचर – जयंतिया सड़क जिसे अविभाजित कछार जनपद का एक प्राचीन सड़क कहाँ जाता है। कुछ वर्षों से इस सड़क की जो भयावह स्थिति है इसे देखकर लगता है कि क्या सच में असम में कोई शासन तंत्र या सरकार है जो अपने आप को परिवर्तन की सरकार बोलते हैं, जो लोग विकास की बात करते हैं। लगातार कांग्रेस शासन में संपूर्ण असम सह बराकघाटी में विकास नहीं हुआ साथ ही भ्रष्टाचार चरम सीमा पर थी। सबसे आश्चर्य की बात है कि यह सड़क मार्ग जो दो विधानसभा क्षेत्रों में है काटिगोरा तथा बोरखोला वहां के दोनों विधायक अमरचंद जैन एवं किशोर नाथ 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रार्थी के रूप में विजयी हुए थे एवं सम्पूर्ण पाँच वर्ष के भाजपा शासनकाल में वह दोनों विधायक थे। उन दोनों शासकीय दल के विधायकों ने अपने संपूर्ण 5 वर्ष के शासनकाल में इस सड़क मार्ग के लिए कुछ भी नहीं किया। इस सड़क की दुर्दशा के लिए यहां के लाखों लोग प्रत्येक दिन गंभीर असुविधा का सामना कर रहे हैं किंतु वर्तमान के यहां से निर्वाचित जनप्रतिनिधि, कांग्रेसी दो विधायक तथा भाजपा की असम सरकार इस सड़क कि सुधार के लिए कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह हुआ कि भाजपा की असम सरकार यहां के लोगों के प्रति संवेदनशील नहीं है। क्या यह है परिवर्तन की सरकार, विकास करने की सरकार? उल्लेखनीय है कि काटिगोरा विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीनबार भाजपा प्रत्याशी विजयी हुए थे कांग्रेस शासनकाल में फिर भी भाजपा की असम सरकार इस क्षेत्र के मुख्य सड़कमार्ग के लिए उदासीन है। दूसरी ओर यदि हम देखेंगे तो पायेंगे कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री तथा भारतीय जनसंघ से लेकर भाजपा के सबसे लोकप्रिय राजनेता स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा आरंभ किया गया शिलचर  – पोरबंदर महासड़क परियोजना आज तक असम्पुर्ण हैं, प्रायः १८ वर्षों में अटल जी का यह स्वप्न पूर्ण नहीं हुआ। यह महासड़क आरंभ होने से त्रिपुरा प्रदेश सह मिजोरम, मणिपुर एवं दक्षिण असम के निवासी लाभांवित होंगे। शिलचर – जयंतिया सड़कमार्ग भी इस महासड़क तक जोड़ती है। एक जानने के अधिकार (RTI) आवेदन पत्र के उत्तर में यह जानकारी दी गई हैं लोक निर्माण विभाग की ओर से कि 2020 में शिलचर – जयंतिया सड़क के लिए ₹239 करोड़ रुपये अनुमोदन की प्रक्रिया में थी। भाजपा सह उसकी मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग आत्म चिंतन करें कि वास्तविक रूप में भारत के नागरिकों को विशेषकर बराकघाटी के निवासियों को साधारण आधारभूत मानवीय आवश्यकता प्राप्त हो रहा हैं कि नहीं या यह लोग केवल प्रचार में ही व्यस्त है कि चारों ओर विकास हो रहा है, परिवर्तन हो रहा है आदि!

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